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Showing posts from March, 2018

क्रिकेट और बॉलीवुडिया स्टारडम..

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                                      "ग्लैमर और क्रिकेट का गठजोड़ पुराना है, अब विराट और अनुष्का का जमाना है।" क्रिकेट स्टार विराट कोहली और अभिनेत्री अनुष्का शर्मा      बॉलीवुडिया ग्लैमर और क्रिकेट के गठजोड़ के तमाम किस्सों में एक किस्सा अनुष्का और विराट का भी है। लगभग 600 करोड़ की ब्रांड बन चुकी इस जोड़ी (विरूष्का) को मीडिया हमेशा हाईलाइट में रखती है। इनकी ग्लैमरस विवाह समारोह की झलक अभी कुछ दिनों पहले लाखो-करोड़ो लोगों ने देखी, कइयों ने आंहे भरी, तो कइयों ने हसीन सपने बुने, जिसके गवाह तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है। हालांकि मेन स्ट्रीम मीडिया ने अपनी टीआरपी परंपरा निभाते हुए इस किस्से को तब तक निचोड़ा, जब तक टीआरपी रुपी रस की आखिरी बूँद न निकल गयी । उसके बाद अब भी यदा-कदा नींबू फंसाकर थोड़ा बहुत रस निकाल लेता ही है, जैसे आज NDTV जैसे बड़े मीडिया प्लेटफॉर्म में खबर है कि मुम्बई में विराट और अनुष्का का करोड़ो का अपार्टमेंट होते हुए भी ये लोग 15 लाख रुपये प्रति महीने के किराए के...

भ्रष्ट आयोग, मौन सरकार..

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एसएससी परीक्षा में धांधली को लेकर सडकों पर आंदोलनरत युवा  "हमें चाहिए रोजगार, कब जागोगे चौकीदार." आजकल ये इन नारों के साथ देश का मेधावी युवा सड़कों पर उतरा है। प्रतियोगी युवा जिसे अपनी तैयारियों में व्यस्त होना चाहिए था, आज वह इलाहाबाद से लेकर दिल्ली तक पिछले 20 दिनों से एसएससी भर्तियों में हुई धांधली, घूसखोरी, पक्षपात के खिलाफ और नकल विहीन एवं भ्रष्टाचारमुक्त परीक्षा करवाने को लेकर आंदोलनरत हैं। आज भी आंदोलन को लेकर युवाओं का जोश कम नहीं पड़ा है और हजारों की संख्या में युवा दिल्ली, इलाहाबाद और अन्य कर्मचारी चयन आयोगों के बाहर अपनी मांगों को लेकर शांतिपूर्ण ढंग से अनशन पर हैं।    पहले शुरूआती दिनों में छात्रों ने काफी उग्र विरोध प्रदर्शन भी किया इसके बावजूद  सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंगी। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में विरोध प्रदर्शन हो रहा है और सरकार इस तरह से छात्रहित मामले की अनदेखी कर रही है, ये बात समझ से परे है। एक तरफ प्रधानमंत्री छात्रों के हितैषी होने का दम भरते हैं और दूसरी ओर दस दिनों से आंदोलनरत छात्रों के हितों और उनके भविष्य की अनदेखी...

तुम्ही ब्रह्माणी, तुम्ही रूद्राणी तुम्ही दुर्गाकल्याणी हो..

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  यदि मैं एक स्त्री, के सभी रूपों को बखान करने लग जाऊँ तो मेरे शब्द, मेरी सामर्थ्य और यह जगह कम पड़ जाएगी, अतैव मैं यह निरर्थक प्रयास नही करूंगा।    हम सभी ने मां के भ्रूण में आने से लेकर अपनी मृत्यु तक जीवन की हर अवस्था एवं पड़ाव में एक स्त्री को मां, बहन, प्रेमिका, पत्नी, पुत्री और एक साथी के रूप में अपने साथ पाया है। हम सभी इनके सानिध्य में पले-बढ़े और फले-फूले हैं और इन्हीं की छत्रछाया, मार्गदर्शन, प्रेरणा एवं सहयोग के कारण जीवन में बुलंदियों को छुआ है।   अतः आज के पुण्य दिवस के अवसर पर मैं सभी महिलाओं को अंतराष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएं देता हूँ एवं उन महिलाओं के प्रति आभार प्रगट करता हूँ, जिन्होंने समूचे विश्व को प्रेम, एकता एवं मजबूती के सूत्र में बाँध रखा है। उन सभी मार्दानियों को सलाम..! जिन्होंने अपने फौलादी जज्बे और मजबूत इरादों के बलबूते अपने देश, समाज, प्रान्त एवं अपने अंचल को बुलंदियों के शिखर तक पहुंचाया. उन सभी वीरांगनाओं का वंदन..! जिन्होंने विषम परिस्थितयों में भी अपने ज्ञान, अनुभव,रचनात्मकता, सृजनात्मकता के बल पर न सिर्फ कई नव-अन्वे...

रवीश कुमार का बैंकर्स प्रेम..

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मतलब हद दर्जे का लगाव है रवीश जी आपका बैंकर्स से. अगर आपको ये बैंकर्स किसी हिंदी सिनेमा के सीन की तरह खलनायक की खदान में गुलाम की तरह कोयला ढोते नजर आ रहें हैं तो फिर छुड़वा क्यों नहीं देते इनसे इनकी नौकरी.?  वैसे भी देश में हम जैसे तमाम बेरोजगार युवा गुलामी करने को तैयार बैठे हैं। पीएनबी बैंक की मुम्बई साखा के कुछ अधिकारियों की काली करतूत के कारण नीरव मोदी और उसके सहयोगियों को फर्जी लोन देने में, बैंक को लगभग तेरह हजार करोड़ का भारी भरकम चूना लगा है, तभी से आपने बैंकर्स को टारगेट में ले लिया है और उनके पक्ष में आपका रूदन अनवरत जारी है, और बैक टू बैक खुद को 'जीरो टीआरपी एंकर' बता बता कर बैंकर्स सीरीज करे जा रहें हैं। आपने इन बैंकर्स को विक्टिम बता चंद लाख बैंकर्स के प्रेमी जरूर बन गए हैं। हां प्रेमी ही कहूंगा आपको, क्योंकि वो आपको और सिर्फ आपको चोरी छिपे पत्र, मेल, और व्हाट्सएप्प मैसेज लिखकर अपना दर्द बयां करते हैं, और आप एक प्रेमी धर्म निभाकर अपने शो 'प्राइम टाइम' में उनका नाम नहीं लेते, बस अपने दर्शकों के सामने उन्हें विक्टिम बताकर उनका दुःख दर्द स्वयं बयां कर देते ...