भ्रष्ट आयोग, मौन सरकार..
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एसएससी परीक्षा में धांधली को लेकर सडकों पर आंदोलनरत युवा |
"हमें चाहिए रोजगार,
कब जागोगे चौकीदार."
आजकल ये इन नारों के साथ देश का मेधावी युवा सड़कों पर उतरा है। प्रतियोगी युवा जिसे अपनी तैयारियों में व्यस्त होना चाहिए था, आज वह इलाहाबाद से लेकर दिल्ली तक पिछले 20 दिनों से एसएससी भर्तियों में हुई धांधली, घूसखोरी, पक्षपात के खिलाफ और नकल विहीन एवं भ्रष्टाचारमुक्त परीक्षा करवाने को लेकर आंदोलनरत हैं।
आज भी आंदोलन को लेकर युवाओं का जोश कम नहीं पड़ा है और हजारों की संख्या में युवा दिल्ली, इलाहाबाद और अन्य कर्मचारी चयन आयोगों के बाहर अपनी मांगों को लेकर शांतिपूर्ण ढंग से अनशन पर हैं।
पहले शुरूआती दिनों में छात्रों ने काफी उग्र विरोध प्रदर्शन भी किया इसके बावजूद सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंगी। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में विरोध प्रदर्शन हो रहा है और सरकार इस तरह से छात्रहित मामले की अनदेखी कर रही है, ये बात समझ से परे है। एक तरफ प्रधानमंत्री छात्रों के हितैषी होने का दम भरते हैं और दूसरी ओर दस दिनों से आंदोलनरत छात्रों के हितों और उनके भविष्य की अनदेखी कर रहें हैं। एक बॉलीवुड सिने तारिका श्री देवी के आकस्मिक निधन पर प्रधानमंत्री का अफ़सोस भरा ट्वीट चंद घण्टों में आ जाता है, कि 'दुःख की इस घड़ी में हम उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं उसकी आत्मा को शांति मिले',
लेकिन इस देश का युवा भविष्य जिसे आगे चलकर डॉ, इंजीनियर, सिनेमा, प्रशासन और तमाम विभिन्न क्षेत्रों में जाना है उनके लिए एक संवेदनात्मक ट्वीट तो क्या चंद शब्द तक आश्वसन के रूप में नहीं निकले। ये है देश-विदेश में छात्रशक्ति और प्रतिभा का डंका पीटने वाले प्रधानसेवक जी का दोहरा चरित्र।
हालाँकि इस मामले में कुछ मीडिया चैनलों की लगातार सक्रियता और छात्र प्रतिक्रिया के दबाव में गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने एसएससी की भर्तियों में हुई अनियमितताओं की सीबीआई जांच करवाने की बात तो कही है लेकिन प्रतियोगी छात्रों को गृह मंत्री के बयान पर एतबार नहीं है। उन्हें ये बयान लिखित में चाहिए और एक तय समय सीमा के अंदर वर्ष 2013 से 2018 तक की सभी छोटी बड़ी भर्तियों की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में न्यायिक जाँच चाहिए।
इस मांग पर सरकार ने चुप्पी साध ली है और अभी तक सरकार या कर्मचारी चयन आयोग की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
पिछले कुछ वर्षों में लगातार कई राज्यों के भर्ती बोर्डो, कर्मचारी चयन आयोगों, लोक सेवा आयोगों, शिक्षा निदेशालयों और केंद्रीय भर्ती बोर्डो में तमाम घोटाले उजागर हुए हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं में पारदर्शिता का आभाव के कारण छात्रों में इन भर्तियों के प्रति विश्वसनीयता में कमी आई है। इन सबके पीछे मुख्य वजह तलाशेंगे तो पाएंगे कि पिछले कुछ वर्षों में बड़े-बड़े कोचिंग संस्थान और नकल माफियाओं के साथ इन भर्ती बोर्डो के सदस्यों एवं आला अधिकारियों की सांठ-गाँठ और राजनीतिक हस्ताक्षेप इन धांधलियों की मुख्य वजह रही है। इस पूरी प्रक्रियाओं से सिस्टम भी अंजान नहीं होता है, बस वो तभी सक्रिय होता है जब कोई मामला प्रतियोगी छात्रों के द्वारा उजागर किया जाता है।
पिछले कई वर्षों में प्रतियोगी छात्र अपने हितों को लेकर जागरूक हुए हैं या यूं कहें अपने हक के लिए लामबंद हुए हैं और भर्ती बोर्डो और सरकार के खिलाफ अपनी आवाज उठाई है। उ.प्र. लोक सेवा आयोग की भर्तियों में हुई धांधली के खिलाफ प्रतियोगी छात्र संगठनों द्वारा उठाई गई आवाज हो या उ.प्र.अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की भर्ती हो, या फिर मा.शिक्षा चयन बोर्ड की TGT-PGT परीक्षा हो या फिर उत्तर प्रदेश में प्राइमरी या जूनियर की शिक्षक भर्ती परीक्षा हो, या देश के अन्य राज्यों जैसे बिहार भर्ती बोर्ड, म.प्र. भर्ती बोर्ड, राजस्थान भर्ती बोर्ड हो फिर दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में हुई धांधली हो, या फिर सी.पी.एम.टी. या अन्य किसी केंद्रीय परीक्षा बोर्ड में हुई धांधली हो इन सभी मामलो में हुई धांधली के खिलाफ प्रतियोगी छात्रों ने ही आवाज उठायी है और अपने हक की लड़ाई लड़ी है।
हम लड़ेंगे साथी, इस भ्रष्ट सिस्टम के खिलाफ
हम लड़ेंगे साथी नकल माफियाओं के खिलाफ
हम लड़ेंगे साथी अपने हक के लिए
क्योंकि बिना लड़े यहां कुछ मिलता नहीं ...
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