तुम्ही ब्रह्माणी, तुम्ही रूद्राणी तुम्ही दुर्गाकल्याणी हो..

  यदि मैं एक स्त्री, के सभी रूपों को बखान करने लग जाऊँ तो मेरे शब्द, मेरी सामर्थ्य और यह जगह कम पड़ जाएगी, अतैव मैं यह निरर्थक प्रयास नही करूंगा।
   हम सभी ने मां के भ्रूण में आने से लेकर अपनी मृत्यु तक जीवन की हर अवस्था एवं पड़ाव में एक स्त्री को मां, बहन, प्रेमिका, पत्नी, पुत्री और एक साथी के रूप में अपने साथ पाया है। हम सभी इनके सानिध्य में पले-बढ़े और फले-फूले हैं और इन्हीं की छत्रछाया, मार्गदर्शन, प्रेरणा एवं सहयोग के कारण जीवन में बुलंदियों को छुआ है।
  अतः आज के पुण्य दिवस के अवसर पर मैं सभी महिलाओं को अंतराष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएं देता हूँ एवं उन महिलाओं के प्रति आभार प्रगट करता हूँ, जिन्होंने समूचे विश्व को प्रेम, एकता एवं मजबूती के सूत्र में बाँध रखा है।

उन सभी मार्दानियों को सलाम..! जिन्होंने अपने फौलादी जज्बे और मजबूत इरादों के बलबूते अपने देश, समाज, प्रान्त एवं अपने अंचल को बुलंदियों के शिखर तक पहुंचाया.
उन सभी वीरांगनाओं का वंदन..! जिन्होंने विषम परिस्थितयों में भी अपने ज्ञान, अनुभव,रचनात्मकता, सृजनात्मकता के बल पर न सिर्फ कई नव-अन्वेषण किये बल्कि अपने अदम्य साहस, शौर्य एवं वीरता का परिचय देते हुए तमाम कीर्तिमान भी स्थापित किए।
नमन..! उन सभी फौलादी वीराओं को जिन्होंने विभिन्न देशकाल परिस्थिति में अपने देश, समाज, परिवार एवं धर्म की आन, बान और शान के खातिर तमाम बलिदान दिए.
कला, दर्शन, साहित्य, मनोरंजन, विज्ञान, उद्योग, शिक्षा, रक्षा, वित्त, प्रबंधन, राजनीति, समाज सेवा, पशु सेवा, अध्यात्म, खेलकूद एवं गृह प्रंबधन आदि तमाम क्षेत्रो से जुडी उन तमाम महिला हस्तियों को नमन जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्रों में ऊँचे मुकाम हासिल कर एक मिसाल कायम की है।
  इन्होंने सृष्टि के सृजन से लेकर उसके पालन, पोषण और संहार तक में बराबर का दायित्व निभाया है तभी तो हमारे धर्म ग्रंथों में स्त्री को दैवीय शक्ति मानते हुए कहा गया है,
“यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः| यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलः|”____अथर्वेद
अर्थात जिस कुल में नारियों कि पूजा, अर्थात सत्कार होता हैं, उस कुल में दिव्यगुण, दिव्य भोग और उत्तम संतान होते हैं और जिस कुल में स्त्रियों कि पूजा नहीं होती, वहां जानो उनकी सब क्रिया निष्फल हैं।

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