क्रिकेट और बॉलीवुडिया स्टारडम..
"ग्लैमर और क्रिकेट का गठजोड़ पुराना है, अब विराट और अनुष्का का जमाना है।"
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क्रिकेट स्टार विराट कोहली और अभिनेत्री अनुष्का शर्मा |
बॉलीवुडिया ग्लैमर और क्रिकेट के गठजोड़ के तमाम किस्सों में एक किस्सा अनुष्का और विराट का भी है। लगभग 600 करोड़ की ब्रांड बन चुकी इस जोड़ी (विरूष्का) को मीडिया हमेशा हाईलाइट में रखती है। इनकी ग्लैमरस विवाह समारोह की झलक अभी कुछ दिनों पहले लाखो-करोड़ो लोगों ने देखी, कइयों ने आंहे भरी, तो कइयों ने हसीन सपने बुने, जिसके गवाह तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है। हालांकि मेन स्ट्रीम मीडिया ने अपनी टीआरपी परंपरा निभाते हुए इस किस्से को तब तक निचोड़ा, जब तक टीआरपी रुपी रस की आखिरी बूँद न निकल गयी । उसके बाद अब भी यदा-कदा नींबू फंसाकर थोड़ा बहुत रस निकाल लेता ही है, जैसे आज NDTV जैसे बड़े मीडिया प्लेटफॉर्म में खबर है कि मुम्बई में विराट और अनुष्का का करोड़ो का अपार्टमेंट होते हुए भी ये लोग 15 लाख रुपये प्रति महीने के किराए के अपार्टमेंट में रहते हैं। अब भइया इन मीडिया वालों को कौन समझाए कि बॉलीवुड और बीसीसीआई दोनों ही ग्लैमर के शौक़ीन हैं, और हो भी क्यों न, क्योंकि जब किसी केे पास इतनी इफरात की कमाई होती है तो उनकी लाइफस्टाइल भी वैसी ही हो जायेगी। अब हर कोई मार्क जुकरबर्ग, स्टीव जॉब्स, या अन्य दानवीर बिलेनियर थोड़े ही होता है। एक छोटे तबके से या किसी निम्न-मध्यम वर्ग से अपनी जिंदगी या अपने कैरियर की शुरूआत कर बड़ा मुकाम हासिल करना सबकी किस्मत में नहीं होता।
हैरानी होती है ये देखकर कि किसी बड़े मुकाम को हासिल करने के बाद मिलेनियर या बिलेनियर बन चुका शख्स अपने पुराने जीवन स्तर को क्यों भूल जाता है.? आखिर क्यों वो भूल जाता है कि समाज के जिस तबके से वो उठकर आया है, उसको ऊपर उठाना भी उसकी नैतिक जिम्मेदारी है। फिर वो अपनी कमाई के कुछ हिस्से से अपने समाज को उठाने के लिए शिक्षा और कौशल उपलब्ध करवाने का पुण्य काम क्यों नहीं करता.?
सवाल थोड़ा अटपटा है लेकिन इसका जवाब यही है कि ऊँचा उठने के चक्कर में वह व्यक्ति नीचे देखना ही भूल जाता है। अब उसे उसकी पहली जिंदगी हीन और तुच्छ लगने लगती है और सिर्फ उसे चिन्ता होती है तो अपने स्टेटस और स्टार रेटिंग की। इन सब में वो अपने अंदर का इंसान मार देता है और बस पैसों की हवस पूरी करने में लगा रहता है। ये जानते हुए भी कि उसका अंत भी किसी गुमनाम सड़कछाप आदमी की तरह हो सकता है। अब इस स्टार सिम्बल बन जाने से लोगों की प्रतिक्रियाएं मिलने लगती है, क्योंकि आज हम सब व्यक्ति के अच्छे कर्मों के पीछे नहीं बल्कि चकाचौंध के पीछे भागते हैं। इस चकाचौंध के पीछे एक घुप अंधेरा भी है जिसे देखने का प्रयास ही नहीं करते, बस ग्लैमरस दुनिया के मायावी लोगो के पीछे भागते रहते हैं। कभी इन्हें अपना रोल मॉडल बना लेते हैं तो कभी इन्हें अपना जूनून, इसका कारण कहीं न कहीं हमारे उधार के सपने होते हैं, जो हम इन मायावी लोगों की दुनिया को देखकर पालते हैं और ये भूल जाते हैं कि इन मायावी लोगों की नजरों में आप महज एक दर्शक अर्थात एक ग्राहक हो इस नाते आप इनके भगवान हुए, और इस देश में सबसे दयनीय हालत में भगवान ही है क्योंकि भगवान के नाम पर ही लाखों की लूट-खसोट होती है और उन्हें ही अपना हिस्सा नहीं मिल पाता।
अब कथित भगवान होने के नाते ये मायावी लोग अपना दिखावटी प्यार और संवेदना हम पर लुटाते रहते हैं और हम निहाल होकर इन्हें अपनी सर-आँखों में बिठा लेते हैं और इन्हें मालामाल करते रहते हैं। तभी तो इस गरीब देश में तमाम फिल्मों के और क्रिकेट मैच के टिकट लाखो रुपये में तक में बिक जाते है। भले ही वो मैच उबाऊ हो और फिल्म की दम तोड़ती कहानी और घटिया अभिनय के बावजूद स्टार फेम के चक्कर में वो टिकट हाथो-हाथ बिक जाते हैं।
स्स्टारडम का चोला ओढ़कर कितना बड़ा छलावा करते हैं ये मायावी दुनिया के लोग, अमिताभ बच्चन जैसे बड़े स्टार भी हमें हाजमोला और बोरोप्लस बेंच देते हैं, तो वहीं करीना और कैटरीना लक्स साबुन से नहाने को कहती हैं, और विद्या दीदी अपने काले घने और लंबे बालों का राज डाबर आंवला केश तेल को बताती है तो वहीं सैफ अली खान के साथ दीपिका पादुकोण क्लीनिक ऑल क्लियर शैम्पू से बालों की सारी रूसी धो डालने की बात कहती हैं। लेकिन जरा सोंच कर देखिये, क्या इन लोगों ने कभी अपने जीवन में इन उत्पादों का प्रयोग किया है भला, जिसकी सलाह ये लोग हम लोगो को बाँट रहे हैं। शायद कभी नहीं, ये लोग महज दुनिया की आँखों में धुल झोंककर अपनी स्टारडम के बलबूते उस ब्रांड की प्राइस वैल्यू को बढ़ाने का काम कर रही है। एकदम प्रोफेशनल की तरह इन्हें उस ब्रांड के विज्ञापन, प्रमोशन अथवा एंडोर्समेंट के लिए लाखों-करोड़ों ₹ की कमाई होती है। इन मतलबी लोगों को आपके निजी जीवन में इन उत्पादों के प्रभावों से कुछ लेना देना नहीं है। फिर भी सच जानते हुए भी हम में से अधिकतर लोग आँख मूंदकर इस गफलत में फलां उत्पाद उपयोग करने लगते है कि वो उत्पाद सोने से खरा होगा, क्योंकि उसके उपयोग की सलाह फलां स्टार दे रहा है। बस हमारी इसी कमजोर नब्ज को हमारी विज्ञापन इंडस्ट्री ने पकड़ रखा है और घटिया से घटिया उत्पाद की इंडोर्समेंट किसी बड़े स्टार से करवाकर लाखों करोड़ों का टर्नओवर कर रहे हैं और इस विज्ञापन का खर्च भी हम लोगो से ही वसूल रहे है और हम बड़ी हंसी-ख़ुशी एमआरपी पर उन उत्पादों को खरीद रहें हैं। जबकि उस उत्पाद की एमआरपी में उस उत्पाद की लागत, सारे टैक्स, माल-भाड़ा, डिस्ट्रीब्यूटर से लेकर रिटेलर तक का मुनाफा शामिल होता है। लेकिन हम में से कोई उत्पादों की एमआरपी में मोल-भाव नहीं करता। इस तरह पूरा लाभ उस उत्पाद को आप तक पहुंचाने वालों को हो जाता है, और अप्रत्यक्ष रूप से इन ब्रांड एम्बेसडर को भी करोड़ो रुपये की कमाई हो जाती है।
बस यही कारण है कि ये ग्लैमरस् दुनिया के मायावी लोग हम और आपके पैसो से अपने महंगे से महंगे शौक पूरे करते हैं और हम कस्तूरी मृग की कस्तूरी से सम्मोहित हो कस्तूरी पाने की चाह में इस वन से वन भटकते रहते हैं, और वो मायावी मृग कुलांचे भरता हुआ अपनी चकाचौंध भरी दुनिया में खो जाता है।
जब तक हमें इस हकीकत का एहसास होता है तब तक वो मायावी मृग कई हजारों को सम्मोहित कर अपने स्टारडम के बलबूते करोड़ो की कमाई कर चुका होता है और हम अपलक उसकी चकाचौंध भरी दुनिया को निहार कर मन ही मन निहाल होते रहते हैं।
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