नमक हराम V/S नमक हलाल : पार्ट-१

ये कहानी है नमक हलाल और नमक हरामों की, पहली कहानी राजस्थान के सीकर की है। लॉकडाउन के दौरान पलसाना कस्बे के एक गांव में गुजरात, मध्य प्रदेश समेत कई
स्कूल भवन की पेंटिंग करते मजदूर
राज्यों से कुछ मजदूर लौट
आए थे गांव वालों ने उन्हें गांव के  एक प्राथमिक स्कूल में आश्रय (क्वॉरेंटाइन में रखा) दे दिया। 
मजदूरों ने देखा कि दो दशकों से स्कूल की पेंटिंग नहीं हुई है, साफ-सफाई भी नहीं हुई है तब उन मजदूरों ने सरपंच के सामने स्कूल की पेंटिंग करने का प्रस्ताव रखा। तुरंत ही पेंट, चूना, ब्रश इत्यादि का इंतजाम हुआ और उन मजदूरों ने अपने क्वॉरेंटाइन के दौरान स्कूल की
शक्ल सूरत ही बदल दी। इसके लिए उन्होंने कोई मेहनताना नहीं लिया बल्कि सरपंच से कहा कि हम यहां पर हैं मुफ्त में खा रहे हैं तो हमारा भी फर्ज बनता है कि हम कुछ न कुछ इस स्कूल को दें और इस तरह स्कूल के भवन की कायापलट हो गई।
 इस कहानी का पहला पहलू हमें 'नमक का हक अदा करने' की सीख देता है। अब बात करते हैं दूसरे पहलू की जो इसके बिल्कुल उलट है..
  हम सब जानते हैं कि देश में कुछ ऐसे नमक हराम और
 गलीच टाइप के लोग भी हैं जो खाते तो इस देश का हैं
दिल्ली: तब्लीगी जमात में जमा भीड़
 लेकिन उनके काम देश की तरक्की की वजह नहीं बनते बल्कि देश की शर्मिंदगी की मिसाल बनते हैं। या यूं कहा जाए ये लोग देश की तरक्की होने ही नहीं देना चाहते। पूरा देश जब जिस वक्त कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ने की तैयारी कर रहा था, जब देश में कुछ जगहों से इक्का-दुक्का मामले ही सामने आ रहे थे। तब ये लोग इस माहमारी को पूरे देश में फैलाने की साज़िश रच रहे थे। इन लोगों ने जानबूझकर नियमों की अनदेखी की और
दिल्ली: मरकज में
 शामिल जमाती
दिल्ली समेत देशभर में जगह-जगह जमात बुलाई और वहां से ये जमाती पूरे देश में कोरोना के मानव बम बनकर फैल गए।
  इसका परिणाम क्या निकला, हम सब जानते हैं। देश भर में अचानक से कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी हुई साथ ही कोरोना से होने वाली मौतों में तेजी आई और आज देश के हालात किसी से छिपे नहीं है। आज की तारीख तक दिल्ली से लगाकर अरुणाचल, केरल, जम्मू-कश्मीर और गुजरात तक ये लोग जहां-जहां पहुंचे, वहां-वहां एकाएक कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या तेजी से बढ़ी।
इन लोगों की नमकहरामी यहीं नहीं रुकी, जब तक सरकार को इनके कारनामों की जानकारी हुई तब तक काफी देर हो
इंदौर: स्वास्थ्यकर्मियों
 पर हमला
चुकी थी। आनन-फानन में इन लोगों को ढूंढकर क्वारेन्टीन करने की शुरूआत हुई तो ये लोग बिल में छिपकर बैठ गए। कभी किसी मस्जिद से इनको निकाला गया तो कभी किसी घर से। और तो और इन नमक हरामों ने जांच के लिए पहुंचे स्वास्थ्य -कर्मियों को निशाना बनाया। कभी उन पर पत्थर बरसाए तो कभी उनपर थूंका, तो कभी उनके साथ अश्लील व्यवहार किया, गालियां बकीं और ना जाने क्या-क्या किया। जबकि वो लोग इन नमक हरामों का इलाज कर रहे थे। देश के टैक्सपेयर्स के पैसों से इन नमक हरामों का इलाज हो रहा था, और मुफ्त की देखभाल भी।
बिहार के मुंगेल में एम्बुलेंस रोक ली
जिसके ये बिल्कुल भी हकदार नहीं हैं। क्योंकि हमारा देश का कानून कसाब जैसे आतंकी जिसने सैकड़ों निर्दोषों का कत्लेआम किया, उसको भी खाना-पीना, दवा-दारू और तो और केस लड़ने के लिए वकील तक उपलब्ध कराया, जबकि वो और किसी देश मे ऐसा करता तो या तो उसके जिस्म के टुकड़े कर दिए होते, या तो उसे सरेआम फांसी पर लटका दिया गया होता या गोली मार दी गई होती, या फिर जंगली कुत्तों के हवाले कर दिया गया होता। या फिर पत्थर मार मारकर मौत के घाट उतार दिया गया होता।
तेलंगाना डीजीपी का आदेश
बस इसी तरह हमारे स्वास्थ्यकर्मी भी इन नमक हरामों के ज़ुल्म बर्दाश्त करते हुए अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं और इनका इलाज कर रहे हैं।
जब इनकी हरकते बढ़ने लगी तो यूपी के सीएम समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इन नमक हरामों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के आदेश दिए।
मध्य प्रदेश
 सरकार का आदेश
तब जाकर इन नमक हरामों की हरकतों में कुुुछ कमी आई है। हालांकि इनकी हरकतें अभी भी पूरी तरह से बंद नहीं हुई हैं।
मध्य प्रदेश के इंदौर, यूपी के मुरादाबाद, हैदराबाद, बिहार के मुंगेल, पश्चिम बंगाल में डॉक्टर्स, नर्सों, सफाईकर्मियों और पुलिस के साथ बदसलूकी की घटनाएं सामने आई हैं। जिसको देखकर तो लगता है कि 'लातों के भूत बातों से मानते।'
  दूसरी कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है कि हमें 'शठ के साथ शठता का व्यवहार करना चाहिए'।
                                   ***
डिस्क्लेमर: मैंने इस लेख में किसी सम्प्रदाय विशेष को 'नमक हराम' नहीं कहा, बल्कि उन कुछ लोगों को कहा है जिनका आचरण नमक हरामी वाला है। नमक हराम शब्द को किसी भी तरह के अन्य अर्थ में ना समझा जाए, जैसा कि मैंने अपने लेख में पहले ही स्पष्ट कर दिया है। लेख की पहली कहानी नमक हलालों की है तो दूसरी नमकहरामों की। इस लेख को वैसा ही पढा जाए जैसा कि ये लिखा गया है, इसका कोई और अर्थ कतई ना निकाला जाए। इस लेख को ज्यादा से ज्यादा साझा करें, जल्द ही अगले लेख में नमक हराम V/S नमक हलाल का दूसरा लेख आपके लिए उपलब्ध होगा।
तब तक के लिए 'घरों में रहें सुरक्षित रहें, लॉकडाउन का पालन करें'..

Comments

  1. बहुत ही सटीक और निष्पक्ष लेख ।

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