ड्रैगन के मंसूबों पर भारत ने फेरा पानी

सरकार ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के नियमों में क्यों किया बदलाव?
भारत सरक ने FDI के नियमों में किया बदलाव
आज ये एक बड़ा सवाल आर्थिक समझ रखने वाले हम सभी भारतीयों के जेहन में है।
क्या कोरोना संकट भारत समेत दुनिया के कई बड़े देशों को आर्थिक गुलामी की ओर धकेल रहा है?
तो आपको ये जानकर हैरानी होगी कि, शातिर चीन कोरोना संकट का फायदा उठाकर भारत, अमेरिका और यूरोप के कई देशों की खराब अर्थव्यवस्था का जमकर फायदा उठा है। संकट की इस घड़ी में चीन इन देशों की खस्ताहाल कंपनियों में निवेश कर बड़ा हिस्सेदार बनता जा रहा है।
 हाल में चीन के सेंट्रल बैंक, पीपल्स बैंक ऑफ चाइना (PBOC) ने भारत की सबसे बड़ी हाउसिंग फाइनेंस कंपनी हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड (HDFC) में 1.01 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी है। जिसके चलते HDFC में चीन की कुल हिस्सेदारी 1.71% के करीब हो गई है।
     उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) के आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर 2019 से अप्रैल 2000 के दौरान भारत को चीन से 2.34 अरब डॉलर यानी 14,846 करोड़ रुपये के FDI मिले हैं। यानि चीन ने पिछले 5 महीनों में देश में 2.34 अरब डॉलर का निवेश किया है।
 पिछले कारोबारी साल में अप्रैल से दिसंबर तक की अवधि में भारत कुल 36.77 अरब डॉलर का एफडीआई आया, जो इससे पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 10 फीसदी ज्यादा है।
 यही हाल तकरीबन अमेरिका का भी है चीन ने वहां की अधिकांशतः कंपनियों में बड़े पैमाने पर निवेश कर बड़ी हिस्सेदारी खरीद रहा है और तो और कई अमेरिकी कम्पनियों को अधिगृहीत (Acquisition) भी कर चुका है।
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     वैश्विक संकट के इस दौर में जहां देश कोरोना से लड़ने की रणनीतियां बना रहे हैं, ऐसे में इन देशों की अर्थव्यवस्था डावांडोल हो चुकी है। इन देशों की कई बड़ी कम्पनियों की हालत खस्ता हो चुकी है ऐसे में खुद को दिवालिया होने से बचाने के लिए इनका FDI की ओर आकर्षित होना स्वभाविक है। चीन इस मौके का फायदा उठाने में बिल्कुल भी नहीं चूक रहा। चीन इन कम्पनियों में भारी-भरकम निवेश कर रहा है।भारत-चीन आर्थिक एवं सांस्कृतिक परिषद के आकलन के अनुसार, चीन के निवेशकों ने भारतीय स्टार्टअप में करीब 4 अरब डॉलर निवेश किये हैं। उनके निवेश की रफ्तार इतनी तेज है कि भारत के 30 यूनिकॉर्न में से 18 को चीन से वित्तपोषण मिला हुआ है। यानि सबसे ज्यादा भारतीय स्टार्टअप कम्पनियां चीन की तरफ आकर्षित हैं।
    चीन की शातिर चाल को भांपते हुए भारत, ऑस्ट्रेलिया समेत कई देश की सरकारों ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानि कि FDI के नियमों में संशोधन किया है।अब भारतीय कंपनियों का सस्ते शेयर भाव पर चीन अधिग्रहण नहीं कर पाएगा, क्योंकि अब देश की सीमाओं से जुड़े हुए देशों से आने वाला निवेश सरकार की निगरानी में होगा। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के एक बयान के मुताबिक सरकार ने मौजूदा FDI नीति के पैरा 3.1.1 में संशोधन किया है।इस संशोधन के बाद भारत सरकार की निगरानी में विदेशी कम्पनियां भारतीय शेयर बाजार में या कमानियों में निवेश कर सकेंगी। इससे पहले सेबी (SEBI- स्टॉक एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) ने कस्टोडियंस को निर्देश दिया था कि वे भारतीय शेयर बाजार में चीन से आने वाले निवेश की जानकारी दें।
 राहुल गांधी ने पिछले सप्ताह विदेशी निवेशकों द्वारा भारतीय कंपनियों के सस्ते में हो रहे अधिग्रहण का मुद्दा उठाया था। राहुल गांधी ने केंद्र सरकार को आगाह करते हुए 12 अप्रैल को अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, 'देश भयंकर मंदी की चपेट में है. इस वजह से कई भारतीय कंपनियां कमजोर हुई है ऐसे में डर है कि विदेशी कंपनी इसका फायदा उठाते हुए कंपनी को टेकओवर कर ले. भारत सरकार को इस दिशा में प्रयास करते हुए विदेशी ताकतों को भारतीय कंपनियों के अधिग्रहण से रोकना चाहिए.'
   सरकार के साथ-साथ एक जिम्मेदार राष्ट्र के नागरिक होने के नाते हम सभी की जिम्मेदारी बनती है कि हम चाइनीज प्रोडक्ट्स पर अपनी निर्भरता कम करें, क्योंकि चीन को सबक सिखाने के लिए यही एक कारगर उपाय है और अगर ऐसा सच मे हो गया न तो साल भर में भारत के सामने चीन घुटने टेक देगा, क्योंकि चीन में उनके ही प्रोडक्ट्स की डिमांड बहुत कम है, जिसके चलते चीन दक्षिण एशियाई देशों (खासकर भारत जैसे बड़े देश) में अपनी आंख गड़ाए हुए है। अपने सस्ते प्रोडक्ट्स के दम पर ही चीन इन देशों के बाजारों पर कब्जा जमाए हुए है। भले ही ये प्रोडक्ट्स घटिया किस्म के हों लेकिन सस्ते होने के चलते मध्यम और निम्न वर्ग इनकी तरफ सहज ही आकर्षित होता है और इस तरह हमारे देश के प्रोडक्ट्स इस सस्ते की दौड़ में पिछड़ जाते हैं, इस तरह कई कम्पनियां दम तोड़ देती हैं, कई घरेलू उद्योग खत्म हो चुके हैं और तो और देश का व्यापार संतुलन भी पूरी तरह से चीन के पक्ष में है।
  कोरोना वायरस से फैली वैश्विक महामारी के इस दौर में भारतीय कंपनियों के अधिग्रहण को रोकने के लिए सरकार ने FDI के नियम बदले हैं ताकि अवसरवादी चीन के नापाक मंसूबो पर पानी फेरा जा सके। कोरोना संकट से निपटने के बाद भारत को अगर आर्थिक महाशक्ति बनने की ओर कदम बढ़ाने हैं तो सबसे पहले देश में सूक्ष्म और लघु उद्योगों के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करना होगा। बड़े उद्योगों के लिए देश में उचित माहौल तैयार करना होगा।  साथ ही साथ अनुसंधान तकनीकि और प्रौद्योगिकी को भी बढ़ावा देना होगा और भविष्य में इस तरह के और भी सख्त निर्णय लेने होंगे।

डिस्क्लेमर: आर्थिक विषयों पर जितनी थोड़ी बहुत समझ थी मेरी, या जो कुछ भी बड़े-बड़े आर्टिकल्स में पढ़ा उसे आसान शब्दों में लिख दिया, आप प्रबुद्ध जन इस लेख का विश्लेषण कर प्रतिपुष्टि (फीडबैक) अवश्य दें।

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