Posts

Showing posts from April, 2020

आसमां से एक उल्का टूटी, यहां एक सितारा बुझ गया

Image
बॉलीवुड में इरफान जैसा कोई और नहीं न्यूरोइंडोक्राइन ट्यूमर के चलते  मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में निधन    एक ऐसा हरफनमौला कलाकार (वर्सेटाइल एक्टर) जो हर किरदार बड़े सहजता से जीता था। NSD (नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा, दिल्ली) से निकलने के बाद बॉलीवुड में पैर जमाने के लिए लंबी जद्दोजहद की, तब जाकर कहीं फिल्मों ।में मुख्य भूमिकाएं मिली। उसके बाद एक के बाद ब्लॉक बस्टर फिल्में दी। इरफान की फिल्में हमेशा विषय प्रधान रहीं, लगभग हर फ़िल्म कोई ना कोई संदेश छोड़ती है. किसी कलाकर के लिये जिसका मायानगरी में कोई माई-बाप ना हो, उसका बॉलीवुड से हॉलीवुड तक का सफ़र जरा भी आसान नहीं होता. नब्बे के दशक में #सलाम_बॉम्बे (1988) से बॉलीवुड के रूपहले पर्दे पर कदम रखा. 21 साल के इरफान ने इस फिल्म में एक लेटर राइटर का किरदार निभाया था. करियर की शुरुआत में बतौर सहायक अभिनेता कई फिल्में की, लेकिन इरफ़ान को असली पहचान 2002 के बाद से मिलनी शुरू हुई. #हासिल (2002), फुटपाथ (2003) मकबूल (2003), के बाद से तो इरफान को नजरअंदाज करना डायरेक्टर्स के लिए मुश्किल हो गया. उसके बाद से तो इरफ़ान को धड़ाधड़ फिल्म...

नमक हराम V/S नमक हलाल : पार्ट-१

Image
ये कहानी है नमक हलाल और नमक हरामों की, पहली कहानी  राजस्थान के सीकर की है। लॉकडाउन के दौरान पलसाना कस्बे के एक गांव में  गुजरात,  मध्य प्रदेश समेत कई स्कूल भवन की पेंटिंग करते मजदूर राज्यों से कुछ मजदूर लौट आए थे गांव वालों ने उन्हें गांव के  एक प्राथमिक स्कूल में आश्रय (क्वॉरेंटाइन में रखा) दे दिया।  मजदूरों ने देखा कि दो दशकों से स्कूल की पेंटिंग नहीं हुई है, साफ-सफाई भी नहीं हुई है तब उन मजदूरों ने सरपंच के सामने स्कूल की पेंटिंग करने का प्रस्ताव रखा। तुरंत ही पेंट, चूना, ब्रश इत्यादि का इंतजाम हुआ और उन मजदूरों ने अपने क्वॉरेंटाइन के दौरान स्कूल की शक्ल सूरत ही बदल दी। इसके लिए उन्होंने कोई मेहनताना नहीं लिया बल्कि सरपंच से कहा कि हम यहां पर हैं मुफ्त में खा रहे हैं तो हमारा भी फर्ज बनता है कि हम कुछ न कुछ इस स्कूल को दें और इस तरह स्कूल के भवन की कायापलट हो गई।  इस कहानी का पहला पहलू हमें 'नमक का हक अदा करने' की सीख देता है। अब बात करते हैं दूसरे पहलू की जो इसके बिल्कुल उलट है..   हम सब जानते हैं कि देश में कुछ ऐसे नमक हराम और ...

ड्रैगन के मंसूबों पर भारत ने फेरा पानी

Image
सरकार ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के नियमों में क्यों किया बदलाव? आज ये एक बड़ा सवाल आर्थिक समझ रखने वाले हम सभी भारतीयों के जेहन में है। क्या कोरोना संकट भारत समेत दुनिया के कई बड़े देशों को आर्थिक गुलामी की ओर धकेल रहा है? तो आपको ये जानकर हैरानी होगी कि, शातिर चीन कोरोना संकट का फायदा उठाकर भारत, अमेरिका और यूरोप के कई देशों की खराब अर्थव्यवस्था का जमकर फायदा उठा है। संकट की इस घड़ी में चीन इन देशों की खस्ताहाल कंपनियों में निवेश कर बड़ा हिस्सेदार बनता जा रहा है।  हाल में चीन के सेंट्रल बैंक, पीपल्स बैंक ऑफ चाइना (PBOC) ने भारत की सबसे बड़ी हाउसिंग फाइनेंस कंपनी हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड (HDFC) में 1.01 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी है। जिसके चलते HDFC में चीन की कुल हिस्सेदारी 1.71% के करीब हो गई है।      उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) के आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर 2019 से अप्रैल 2000 के दौरान भारत को चीन से 2.34 अरब डॉलर यानी 14,846 करोड़ रुपये के FDI मिले हैं। यानि चीन ने पिछले 5 महीनों में देश में 2.34 अरब डॉलर का निवेश किया है।...