रॉसोगोल्ला को मिली अंतर्राष्ट्रीय पहचान..
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रॉसोगोल्ला |
कोलकाता में रॉसोगोल्ला
के 150 साल पूरे होने पर मनाया गया रॉसोगोल्ला दिवस..
के 150 साल पूरे होने पर मनाया गया रॉसोगोल्ला दिवस..
भारत की GI कोर्ट में करीब ढ़ाई साल की लड़ाई लड़ने के बाद कोलकाता के रॉसोगोल्ला को पिछले साल 14 नवम्बर को GI (Geographical Identifiaction) टैग मिला था.. माना जाता है कि आज से 150 साल पहले यानि 1868 ई में बंगाल के नोबीन दास मोइरा ने इस मिठाई का आविष्कार किया था, जिसे उन्होंने दूध के छेने से बनाकर चाशनी में उबाला था, उसके बाद से रॉसोगोल्ला अपने अनूठे स्वाद की वजह से बंगाल के साथ-साथ पूरे देश और विदेश में मशहूर हो गया।
रॉसोगोल्ला केे आविष्कार का दावा कोलकाता का पड़ोसी राज्य उड़ीसा भी करता है, और उसने भी GI टैग के लिए आवेदन किया था। इसके पीछे उसके अपने तर्क और कहानियां हैं लेकिन रॉसोगोल्ला के आविष्कार और उत्त्पत्ति के अधिकार की लड़ाई वो हार चुका है और रॉसोगोल्ला को कोलाकाता की मिठाई के रूप में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल चुकी है.. कोलकाता में 14 नवम्बर को 'रॉसोगोल्ला दिवस' के रूप में मनाया जाना, रॉसोगोल्ला को 'हेरिटेज स्वीट्स' का दर्जा दिए जाने के साथ-साथ नोबीन मोइरा के परिवार और समूचे कोलकाता वासियों के लिए गर्व का दिन था..
रॉसोगोल्ला केे आविष्कार का दावा कोलकाता का पड़ोसी राज्य उड़ीसा भी करता है, और उसने भी GI टैग के लिए आवेदन किया था। इसके पीछे उसके अपने तर्क और कहानियां हैं लेकिन रॉसोगोल्ला के आविष्कार और उत्त्पत्ति के अधिकार की लड़ाई वो हार चुका है और रॉसोगोल्ला को कोलाकाता की मिठाई के रूप में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल चुकी है.. कोलकाता में 14 नवम्बर को 'रॉसोगोल्ला दिवस' के रूप में मनाया जाना, रॉसोगोल्ला को 'हेरिटेज स्वीट्स' का दर्जा दिए जाने के साथ-साथ नोबीन मोइरा के परिवार और समूचे कोलकाता वासियों के लिए गर्व का दिन था..
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