लौह पुरुष के सम्मान में 'स्टेच्यू ऑफ़ यूनिटी'..
वो अकेले ही चले थे जानिब ए मंजिल मगर,
रियासतें एक होती गई और हिन्दोस्तां बनता गया..
लौह पुरुष की जयंती पर उनकी विश्व में सर्वोच्च प्रतिमा का लोकार्पण कर देशवासियों ने सच्ची श्रद्धाजंलि दी है, ये विशालकाय प्रतिमा देश और दुनिया के लोगों को सरदार के लौह व्यक्तित्व की हमेशा याद दिलाती रहेगी, क्योंकि बारदोली सत्याग्रह में महिला एवं किसानों के सशक्तिकरण की अलख जगाने वाले पटेल किसानों के सर्वमान्य सरदार बन गए.. उनका कहना था,
"मैंने कला या विज्ञान के विशाल गगन में ऊंची उड़ानें नहीं भरीं। मेरा विकास कच्ची झोपड़ियों में गरीब किसान के खेतों की भूमि और शहरों के गंदे मकानों में हुआ है।" तदुपरांत आजादी के बाद देशी रियासतों के एकीकरण का कार्य उन्होंने बखूबी निभाया और करीब 562 छोटी-बड़ी रियासतों को एक झंडे के नीचे लाकर खड़ा कर दिया... सरदार की बदौलत ही आज हम देश की संप्रभुता, एकता और अखंडता की बात करते हैं, अन्यथा आज भारत भूमि के अंदर ही कई स्थानों में जाने के लिए वीजा लेना पड़ता, काश जम्मू-कश्मीर मसले पर जवाहर लाल ने हस्ताक्षेप न किया होता, तो आज वो राज्य अपना अलग वजूद न बनाए होता और न ही POK जैसा कोई टुकड़ा भारत के सिरमौर के खंड करता, और न ही अक्साई चिन या कोई भी भारतीय भू -भाग पर अतिक्रमण होता..
तत्कालीन समय में सरदार सा लौह व्यक्तित्व होना देश की बड़ी उपलब्धि थी, जिनकी दूरदर्शिता के कारण आज हम संपूर्ण भू भाग में अबाध संचरण कर सकते हैं, हम किसी भी राज्य (j&k) में निवास अथवा व्यापर कर सकतें है। सही मायनों में अनुछेद 19 के कई उपबन्ध सरदार की बदौलत ही हासिल हो पाए, क्योंकि तत्कालीन समय में वैसे कठिन फैसले लेने वाला मेरी समझ से तो कोई नहीं था...
खैर सरदार के व्यक्तित्व की तमाम ऐसी जानकारियां हैं जिन्हें इतिहास में जगह नहीं दी गई, लेकिन सरदार का कद इतना ऊँचा है कि उन चापलूस इतिहासकारों के चंद शब्दों की उनको आवश्यकता नहीं..
#StatueOfUnity के लोकार्पण अवसर पर देशवासियों को बधाई, जिन्हें ऐसा लगता हो कि इसे बनाने में अनावश्यक धन खर्चा गया, उन नासमझ बुद्धजीवियों को भी बधाई..!
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