राख में नई जिंदगी की तलाश..


राख में जिंदगी ढूंढता बालक

राख में जिंदगी ढूंढता यह बालक ये नहीं जानता कि आने वाले वक्त में इसके बाप-दादाओं का पुश्तैनी धंधा शायद इसी राख़ में दफ़्न हो जाए, या फिर मिट्टी से बने  कुल्हड़, सुराही, मटके या दिये आदि इतिहास के पन्नों पर पढ़ने को मिलें, कयोंकि हालात ऐसे बनते जा रहें हैं कि मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हारों की आने वाली नई पीढ़ी अपना पुश्तैनी धंधा नहीं करना चाहती। इस तरह से एक और हस्तशिल्प कला अपनी विलुप्ति की ओर अग्रसर है।
मिट्टी से कुम्हार का नाता सदियों पुराना है। विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यताओं से जुड़े पुरातात्विक स्थलों में भी मिट्टी से बने पात्रों के साक्ष्य मिलें हैं। इसके उपरान्त हमारी वैदिक कालीन सभ्यता  में भी मिट्टी से बने पात्रों का उल्लेख मिलता है। अतः मानव सभ्यता के उद्भव के पश्चात से ही मनुष्य का मिट्टी से जो जुड़ाव हुआ वो आज तक कायम है।

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