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Showing posts from April, 2018

यदि चाँद में जाएगी कार, तो मचेगा हाहाकार..

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  वैज्ञानिक प्रयोगों पर मुझे हमेशा से आश्चर्य होता आया है, एक वैज्ञानिक खोज तो इस बारे में होनी चाहिए कि वैज्ञानिक इतना उल्टा कैसे सोच लेते हैं.? भला श्रोडिंगर को क्या सूझी थी कि वो बिल्ली को बक्से में बंद करने चल दिए, फिजिक्स में पढ़ने को क्या कम चीजें थीं जो उन्हें इसके लिए समय मिल गया? बेंजामिन फ्रैंकलिन उसी पतंग से जाने कितनी और पतंगें लूट सकते थे, लेकिन वो तूफानी बादल से विद्युत् आवेश लेने चल दिए. अलेक्जेंडर फ्लेमिंग के पास देखने को सारी दुनिया पड़ी थी, लेकिन नहीं, उनका इंटरेस्ट तो प्लेट में उग आई फफूंद पर ही जगा.   अब देखिए कार के साथ करने को कितना कुछ था, लेकिन एलन मस्क को उससे मतलब नहीं है, उन्हें तो मंगल पर कार भेजनी है. क्या अंतरिक्ष में एलियन कार चलाएंगे.? परिकल्पना : 'चाँद में कार'   ग्रेटर नोएडा में ऑटो एक्सपो होता है तो देश भर से लोग पहुंचते हैं, कार देखने नहीं, मुफ्त की पेनड्राइव लेने.   एलन को मानवता का भला करना ही था तो मुफ्त की पेन ड्राइव बंटवा देते. 'म; से 'मनुष्य' को 'म' से 'मुफ्त में जो मजा आता है वो 'म' से मंगल...

रेहड़ी वालों पर नगर निगम का कहर..

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नगर निगम का अतिक्रमण निरोधी दस्ता इस समय शहर भर में सक्रिय है| ये दस्ता शहर में रोज किसी न किसी इलाकें आ धमकता है, फिर आ जाती है रोड किनारे अस्थायी ठेला और रेहड़ी लगाने वालों की शामत|  हाईकोर्ट ने पूरे शहर को अतिक्रमण मुक्त कराने का आदेश दे रखा है| इसके बाद भी पुराना शहर हो या फिर नए शहर का एरिया ,  इनक्रोचमेंट जस का तस कायम है| इससे कई सड़कों के अस्तित्व पर ही संकट खड़ा हो गया है. पुराने शहर को इस स्थिति से बाहर निकालने की जिम्मेदारी न तो नगर निगम उठाने को तैयार है और न ही एडीए व पुलिस| इनक्रोचमेंट के लिए पटरी के दुकानदार कम ,  बड़े दुकानदार ज्यादा जिम्मेदार हैं| स्थायी दुकान होने के बाद भी दुकान के अंदर भरे सामान से ज्यादा माल रोड पर रख देते हैं| दुकान को रोड या फिर पटरी तक लगा देते हैं| जानसेनगंज ,  घंटाघर ,  चौक ,  लोकनाथ ,  बांसमंडी ,  बहादुरगंज ,  मुट्ठीगंज ,  कटरा ,  न्यू कटरा ,  कचहरी रोड ,  करेली आदि एरिया में ऐसा बहुतायत देखने को मिलेगा. कोढ़ में खाज ,  इसके आगे ठेले वाले दुकान लगा देते हैं| इससे वर्किंग ...

संकट में हैं प्रजापति समुदाय..

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बर्तन बनाने के लिए मिटटी रौंदता कुम्हार  माटी कहे कुम्हार से, तू क्यों रौंदे मोय..?  एक दिन ऐसा आयेगा मैं रौंदूंगी तोय..! कबीर दास जी का सदियों पहले कहा गया ये दोहा आज शब्दशः सही साबित हो रहा है, क्योंकि बहुत हो चुका कुम्हार का माटी को रौंदना अब माटी की आसमान छूती कीमतें किसान को रौंदने पर तुली है|           प्लास्टिक बर्तनों के दिन-प्रतिदिन बढ़ते प्रयोग व आधुनिक जीवनशैलीने मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हारों के पुस्तैनी धंधे को चौपट कर दिया है| इस धंधे से कोई अच्छी आमदनी न होने के कारण अधिकतर कुम्हार सदियों से चले आ रहे अपने पुश्तैनी काम को छोड़ते जा रहे हैं । युवा वर्ग तो अब बर्तन बनाने की इस कला को सीखने में कोई रुचि नहीं ले रहा है। जो कुछ बचे हुए कुम्हार बर्तन बना भी रहे है, तो उन्हें बर्तनों के लिए मिट्टी और बालू की कीमत ज्यादा चुकानी पड़ रही है| शहरों में बर्तनों को पकाने के लिए पुआल एवं कंडी आदि आसानी से न मिलने के कारण इनकी समस्या और बढ़ गई है।   इस कारण कुम्हारी कला के लुप्त होने की आशंका बढ़ती जा रही है। ...

रेलवे की नसों में दौड़ेगा १२ हजार हॉर्सपॉवर का दम..

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आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के पहले हाई स्पीड इलेक्ट्रिक लोको इंजन को बिहार की मधेपुरा लोको फैक्ट्री से हरी झंडी दिखाई। यह लोको इंजन सप्ताह में दो दिन कटिहार से नई दिल्ली के बीच चलने वाली हमसफर एक्सप्रेस में लगाया जाएगा। भारत के इस पहले हाई स्पीड इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव से जुड़ी कुछ ख़ास बातें: मधेपुरा लोकोमोटिव इंजन निर्माणशाला * यह इंजन 'मेक इन इंडिया' के तहत बिहार की मधेपुरा इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव फैक्ट्री और फ्रेंच फर्म एल्सटॉम के संयुक्त प्रयास से बनाया गया है। * भारत में 12,000 हॉर्सपॉवर क्षमता वाला यह लोकोमोटिव इंजन है। इससे पूर्व 6000 हॉर्सपॉवर का लोकोमोटिव सबसे शक्तिशाली इलेक्ट्रिक इंजन हुआ करता था। *इस इंजन के साथ भारत रूस, चीन, जर्मनी और स्वीडन के साथ एलीट लिस्ट में शामिल हो गया है, जिनके पास 12,000 हॉर्सपॉवर क्षमता का रेल इंजन है। * यह लोकोमोटिव इंजन अधिकतम 110 किमी प्रति घण्टे की रफ्तार से दौड़ सकता है। * यह इंजन भारी मालभाड़े को ढोने के लिए सबसे उपयुक्त है और इससे मालगाड़ियों की माल ढोने की क्षमता और गति में महत्वपूर्ण सुधार आएगा। इस इंजन का उपयोग ज्यादात...