यदि चाँद में जाएगी कार, तो मचेगा हाहाकार..

वैज्ञानिक प्रयोगों पर मुझे हमेशा से आश्चर्य होता आया है, एक वैज्ञानिक खोज तो इस बारे में होनी चाहिए कि वैज्ञानिक इतना उल्टा कैसे सोच लेते हैं.? भला श्रोडिंगर को क्या सूझी थी कि वो बिल्ली को बक्से में बंद करने चल दिए, फिजिक्स में पढ़ने को क्या कम चीजें थीं जो उन्हें इसके लिए समय मिल गया? बेंजामिन फ्रैंकलिन उसी पतंग से जाने कितनी और पतंगें लूट सकते थे, लेकिन वो तूफानी बादल से विद्युत् आवेश लेने चल दिए. अलेक्जेंडर फ्लेमिंग के पास देखने को सारी दुनिया पड़ी थी, लेकिन नहीं, उनका इंटरेस्ट तो प्लेट में उग आई फफूंद पर ही जगा. अब देखिए कार के साथ करने को कितना कुछ था, लेकिन एलन मस्क को उससे मतलब नहीं है, उन्हें तो मंगल पर कार भेजनी है. क्या अंतरिक्ष में एलियन कार चलाएंगे.? परिकल्पना : 'चाँद में कार' ग्रेटर नोएडा में ऑटो एक्सपो होता है तो देश भर से लोग पहुंचते हैं, कार देखने नहीं, मुफ्त की पेनड्राइव लेने. एलन को मानवता का भला करना ही था तो मुफ्त की पेन ड्राइव बंटवा देते. 'म; से 'मनुष्य' को 'म' से 'मुफ्त में जो मजा आता है वो 'म' से मंगल...